भारत के उपराष्ट्रपति के इस्तीफे, उपचुनाव, कार्यभार और अवधि से संबंधित व्यवस्थाओं का विवरण निम्नलिखित है:
1. *इस्तीफे की व्यवस्था*:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित पत्र द्वारा अपना पद त्याग सकता है। इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है।
2. *उपचुनाव की व्यवस्था*:
यदि उपराष्ट्रपति का पद मृत्यु, पदत्याग, पद से हटाए जाने या अन्य कारणों से रिक्त होता है, तो संविधान के अनुसार रिक्ति को भरने के लिए यथाशीघ्र उपचुनाव आयोजित किया जाता है। यह उपचुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote) का उपयोग होता है।
3. *अनुपस्थिति में कार्यभार*:
संविधान इस बात पर मौन है कि उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसका कार्यभार कौन संभालेगा। हालांकि, उपराष्ट्रपति के मुख्य कर्तव्य, जैसे कि राज्यसभा का पदेन सभापति होना, इस स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य सदस्य द्वारा संभाले जाते हैं। यदि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहा हो (राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या रिक्ति में), तो वह राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का पालन नहीं करता।
4. *उपचुनाव में चुने गए उपराष्ट्रपति की अवधि*:
उपचुनाव के माध्यम से चुने गए उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पूरे पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करने का हकदार होता है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 67 के उपबंधों में उल्लिखित है। यह अवधि पिछले उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि पर निर्भर नहीं करती।
*सारांश*:
- उपराष्ट्रपति इस्तीफा राष्ट्रपति को देता है।
- रिक्ति होने पर यथाशीघ्र उपचुनाव होता है।
- अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति या अन्य प्राधिकृत सदस्य सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
- उपचुनाव में चुना गया उपराष्ट्रपति पूरे पांच वर्ष के लिए कार्य करता है।
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